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Showing posts from August, 2018

नैतिक मूल्य जीवन का आधार स्तंभ

महात्मा गांधी के अनुसार सात महापाप है- मेहनत के बिना धन ,अंतर आत्मा के बिना आनंद ,चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिक मूल्यों के बिना व्यापार ,इंसानियत के बिना विज्ञान ,त्याग के बिना धन ,सिद्धांतों के बिना राजनीति. हमें याद रखना चाहिए कि नैतिक मूल्य ,अच्छी आदतें और सदगुण पैदाइशी नहीं होते वे सीखे जाते हैं. जीवन को आकार देने के लिए हमें अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करनी पड़ती हैं. एक पुरानी कहावत है"अगर पैसा चला गया तो समझो कुछ नहीं गया, अगर स्वास्थ्य चला गया तो समझो कुछ गया ,लेकिन यदि चरित्र चला गया तो समझो सब कुछ चला गया" व्यक्ति का चरित्र अमूल्य है इसके बिना मनुष्य का जीवन बेकार है. पैसा हर काम की कीमत नहीं होता. युवा पीढ़ी जो मूल्यों को सीखें बगैर दौलत विरासत में पा लेती है बिना सही शिक्षा और दिशा निर्देशन के वह हर चीज को पैसे से तोलते हैं. वह मानते हैं कि हर चीज बिकाऊ है और हर चीज की कीमत है वास्तव में यह सच नहीं है. वह लोग जिनका जीवन मूल्यों पर आधारित है वह बिकाऊ नहीं होते और ना ही वह अपनी कोई कीमत लगाते हैं. लोग रातों-रात सफल होना चाहते हैं चाहे फिर उन्हें अपनी आत्मा को ह...

जीवन

कितना सच और कितना झूठ, जीवन तू है अजब अबूझ. पकड़ते-पकड़ते छूट गई डोरी,  क्या खोया क्या पाया, यही समझने में बीत गए, कितने दिन साल और महीने. यह आपाधापी, यह अपने और पराए का भेद, वह अपने जो परायों से भी बढ़कर है, उनसे तुमने ही मिलवाया. ढ़ेर सारी इच्छाएं और आकांक्षाएं, कुंठा और आहत भावनाएं, प्यार और दुलार भी है, सपनों का संसार भी है.  रोज  नई  कड़ियां है जुड़ती . बहते हुए नद सा जीवन,  कभी चंचल और निर्मल, कभी शांत और शीतल, कभी प्रचंड वेग से उठती लहरों की धार. नहीं इसका कोई पारावार.

व्यक्ति के विकास में माहौल की भूमिका

हमारा शरीर वैसा ही बनता है जिस प्रकार का भोजन हम ग्रहण करते हैं, ठीक उसी प्रकार हमारा मस्तिष्क भी वैसा ही सोचता है जिस प्रकार के माहौल में हमारी परवरिश होती है. हमारे आसपास का माहौल हमारे मस्तिष्क के लिए भोजन का कार्य करता है. जिससे हमारी आदतें व्यवहार और व्यक्तित्व निर्धारित होता है. प्रकृति द्वारा हर मनुष्य को कोई ना कोई खास क्षमता विरासत में मिली होती है, परंतु हम उस  क्षमता को कितना और किस प्रकार विकसित कर पाते हैं यह हमारे माहौल पर निर्भर करता है. मस्तिष्क पर माहौल का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है जिस तरह भोजन का शरीर पर. मान लीजिए हम भारत की जगह किसी दूसरे देश में पैदा होते तब हम कैसे इंसान होते? क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हम भारत की जगह अमेरिका में पैदा हुए होते क्या तब भी हमारे कपड़े पहनने का तरीका यही होता? क्या तब भी हम ऐसा ही भोजन करते ? और क्या तब हम किसी दूसरे धर्म के अनुयाई नहीं होते? कहने का मतलब इतना है कि हमारा विकास किस तरह होगा यह पूरी तरह से हमारे माहौल पर निर्भर करता है. जिस प्रकार सांचा गीली मिट्टी को आकार देता है उसी प्रकार आसपास का माहौल एक मनुष्य को आक...

जीवन पथ

जीवन की ये राहें, ले जाएंगी कहां? क्या होगा वहां?  नदी ,झील ,दुर्गम पहाड़ी या कोई शीतल झरना? नहीं जानता है कोई. बस चलना है ,हर हाल में चलना है. चाहे पैर हो लहूलुहान, या हो पथ फूलों का सुखमय महान. किस राह पर क्या मिलेगा? इससे हैं हम अनजान.  हर हाल में चलते जाना वही तो है इंसान.

अटल बिहारी वाजपेई- भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने  राज्यसभा में एक भाषण के दौरान अटल जी को भारतीय राजनीति का"भीष्म पितामह" कहा था .अपने करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों में "बाप जी" के नाम से प्रसिद्ध अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था. अटल जी ने अपना जीवन देश की भलाई के लिए एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रुप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था. अटल जी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आ गए थे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया और 23 दिन तक कारावास में रहे. अटल जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की. राष्ट्रधर्म और पाञ्चजन्य पत्रिकाओं के संपादक के रूप में कार्य किया इसके अतिरिक्त स्वदेश और वीर अर्जुन समाचार पत्रों के संपादक के रूप में अपना योगदान दिया. पत्रकारिता से अटल जी ने राजनीति में प्रवेश किया 6 अप्रैल 1980 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रुप में एक नई यात्रा की शुरुआत की. अपने राष्ट्र और भाषा पर  गौरव करने वाले अटल बि...

वीरों की गौरव गाथा

जो मातृभूमि की पूजा में अपना शीश चढ़ा आए, यह आजादी का महापर्व है आओ उनकी गाथा गाये, सीमा पर प्राचीर बने जो डटे हुए हैं सीना तान, रोज लहू से चरण पखारे करते हैं हम उन्हें प्रणाम, मार्तंड हो मातृभूमि के फैले जिससे प्रखर उजास, मां की गरिमा कायम रखते कोई नहीं है तुमसे खास, युद्ध में बाढ़ में सुरक्षा में प्रहार में, मातृभूमि के हर कार्य में, तुम ही हो   अग्रिम कतार में, बर्फ की चादर हो, लहराता सागर हो, बरसती हुई आग में,  वज्र के मन से कूदते हर रण में, स्वतंत्रता की रक्षा करते स्वाभिमान के पोषक हो, आतंक  से लोहा लेते मातृभूमि के रक्षक हो, सिंह का साहस हो, शत्रु के लिए पावक हो, रण में महाकाल हो, प्रचंड तुम प्रहार हो, गर्व हो हमारा, आन, बान, शान हो, हे वीर तुम महान हो सभी का स्वाभिमान हो,.

समरथ को नहिं दोष गुसाईं

  जीवन धारा के विपरीत दिशा में तैरने का प्रतीक है. जब गोस्वामी जी कहते हैं कि- समरथ को नहिं दोष गुसाईं तो इसका सीधा सा मतलब यह है कि प्रकृति सर्वश्रेष्ठ और संघर्षशील को ही प्राथमिकता देती है. सच तो यह है कि संसार में जीवन का अस्तित्व शुरू होने से पहले मां के गर्भ में ही यह संघर्ष शुरू हो जाता है. जो कमजोर है उसे प्रकृति स्वयं नष्ट कर देती है. इसके लिए हमें चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को समझना आवश्यक है जिसके अनुसार- सभी जीव जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं भोजन, आवास और उचित वातावरण  के लिए जीव धारियों में निरंतर संघर्ष होता रहता है. इस संघर्ष में वही जीव जीवित रह पाते हैं जो इस संघर्ष में सफल होते हैं. कमजोर जीव नष्ट हो जाते हैं. इसके अनुसार प्रकृति सर्वश्रेष्ठ का ही चुनाव करती है. संस्कृत की सूक्ति-" वीर भोग्या  वसुंधरा "के द्वारा हम इस बात को समझ सकते हैं. जिसका तात्पर्य यह है कि निडर और संघर्षशील व्यक्ति को ही इस धरती के सुखों को भोगने का अधिकार प्राप्त होता है. महान योद्धा और विश्व विजई सिकंदर महान को कौन नहीं जानता, सिकंदर में यदि लड़ाकू प्रवृत्ति ...

जग में समय बहुत बलवान

संसार में समय से मूल्यवान कुछ भी नहीं है. हमारा जीवन बस एक क्षण में बदल जाता है, बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता है. इसीलिए इस दुनिया में समय को सबसे कीमती कहा गया है. आपके पास कितना समय है यह महत्वपूर्ण नहीं है महत्वपूर्ण तो यह है कि आप उस समय का उपयोग किस प्रकार करते हैं. लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालने और उन तक अपनी बात पहुंचाने में ज्यादा समय नहीं लगता है. उदाहरण के लिए दुनिया के सबसे बेहतरीन भाषणों में से एक सबसे संक्षिप्त था. यह भाषण अब्राहम लिंकन ने गेटिसवर्ग की युद्ध भूमि में दिया था, यह भाषण 5 मिनट से भी कम समय का था परंतु इसे दुनिया के महानतम भाषणों में से एक माना जाता है. हमें ध्यान रखना चाहिए कि जिस प्रकार एक -एक बूंद से सागर बनता है, एक- एक पैसे से रुपया बनता है उसी प्रकार एक-एक सेकंड से मिनट, घंटे, दिन, सप्ताह ,और महीने बनते हैं जो वर्षों में परिवर्तित हो जाते हैं. यदि किसी कारण से धन नष्ट हो जाए तो उसे फिर से कमाया जा सकता है, लेकिन नष्ट हुए समय को हम वापस नहीं प्राप्त कर सकते हैं. इस धरती पर हर मनुष्य के जीवन की एक समय सीमा है, इसलिए हमें हर एक क्षण का सदुपयोग करना चा...

आदतों का जीवन में महत्व

प्रकृति किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करती हैं. फिर हम में से कई लोग बहुत सफल होते हैं कुछ लोग औसत दर्जे का प्रदर्शन करते हैं और कुछ लोग पूरी तरह से असफल हो जाते हैं, ऐसा आखिर क्यों होता है? इसके पीछे का सबसे मुख्य कारण है हमारी आदतें. अगर हम किसी सफल व्यक्ति का विश्लेषण करें तो हम यह पाते हैं कि ऐसे लोग अपने जीवन में अधिकतर सही फैसले करते हैं इसके विपरीत एक असफल व्यक्ति हमेशा गलत फैसले करता है. वह अपनी पुरानी गलतियों से कुछ नहीं सीखता है और उन्हें बार-बार दोहराता जाता है शायद उसे पता भी नहीं होता कि वह अपनी गलतियों को दोहरा रहा है क्योंकि यह उसकी आदत और व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुकी होती हैं. एक प्रसिद्ध कहावत है -प्रेक्टिस मेक मैन परफेक्ट इसका मतलब है कि अभ्यास से व्यक्ति पूर्णता को प्राप्त करता है. हम अपने किसी भी गुण को अभ्यास के द्वारा निखार सकते हैं. उसी प्रकार हम बार बार गलतियों को दोहरा कर उसमें भी महारत हासिल कर सकते हैं, क्योंकि बार-बार दोहराने से यह हमारी आदत का हिस्सा बन चुकी होती हैं.  कोई भी कार्य जिसे हम लंबे समय तक करते हैं वह हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है ...

चातुर्मास अध्यात्म से विज्ञान तक

 भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में चातुर्मास का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. चातुर्मास का प्रारंभ आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होता है. इसे देव शयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस अवधि के दौरान सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु योग निद्रा के लिए चले जाते हैं. यह वह समय होता है जब सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं. चौमासे के समय व्रत और उपवास के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वच्छता पर विशेष बल दिया जाता है. चातुर्मास में कई महत्वपूर्ण त्यौहार आते हैं. जिसमें गुरु पूर्णिमा ,रक्षाबंधन जन्माष्टमी, नवदुर्गा और दीपावली सभी सम्मिलित हैं. सावन मास में पड़ने वाले सोमवार भी इसी चौमासे के अंतर्गत आते हैं. जिसमें पूरा वातावरण पावन और शिव मय  हो जाता है.  आधे आषाढ़ से लेकर आधे कार्तिक मास की अवधि को चातुर्मास या चौमासा कहते हैं. चातुर्मास का अंत  कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है . इसे देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं. धर्म के अनुसार इस समय मनुष्य को सादा भोजन और संयमित जीवन पद्धति का...

सफलता के लिए लक्ष्य का चुनाव आवश्यक है

 लक्ष्य का मतलब है उद्देश्य, लक्ष्य सपने से ज्यादा होता है, क्योंकि लक्ष्य का मतलब है सपने पर काम करना जब तक लक्ष्य नहीं बनाया जाता तब तक कुछ भी हासिल नहीं होता है. लक्ष्य के बिना आदमी जीवन में इधर उधर भटकता रहता है. वह कभी नहीं जान पाता है कि उसके जीवन का उद्देश्य क्या है इसलिए वह जीवन में कुछ भी  हासिल नहीं कर पाता है. सफलता के लिए लक्ष्य उतना ही आवश्यक है जितनी आवश्यक जीवन के लिए ऑक्सीजन है. कोई भी बिना लक्ष्य के सफल नहीं हुआ है. सफलता के लिए पूरे मन से प्रयास की जरूरत होती है और आप किसी काम में पूरा मन तभी लगा सकते हैं जब आप उस कार्य को पसंद करते हो. सफल लोगों का ध्यान लक्ष्य पर लगा रहता है और इसी से उन्हें ऊर्जा मिलती है, सफल लोगों को हमने कभी भी ज्यादा काम की शिकायत करते हुए नहीं सुना है इसका कारण यह है कि वह अपने लक्ष्य के प्रति इतने समर्पित होते हैं कि उन्हें इसी में आनंद मिलता है. दृढ़ निश्चय के साथ तय किए गए लक्ष्य की सबसे खास बात यह है कि वह आपको अपने सपने तक पहुंचने की राह पर हमेशा बनाए रखता है. वह व्यक्ति जो अधिकतम सफलता पाने के लिए दृढ़ संकल्प है उसे यह पता ...

अनुच्छेद 35ए विशेषाधिकार या मानवाधिकार हनन

  अनुच्छेद 35ए धारा 370 का हिस्सा है अनुच्छेद 35ए द्वारा जम्मू कश्मीर की विधानसभा को यह अधिकार प्राप्त है कि वह स्थाई नागरिक की परिभाषा तय कर सके. लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि किसी भी संविधान की पुस्तक में अनुच्छेद 35ए का कोई जिक्र नहीं है. अनुच्छेद 35ए को 14 मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ा गया था. संविधान सभा से लेकर संसद के किसी भी कार्यवाही में कभी भी अनुच्छेद 35ए को संविधान का हिस्सा बनाने के लिए किस संविधान संशोधन या बिल लाने का जिक्र नहीं मिलता. अनुच्छेद 35ए को लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग किया है. अनुच्छेद 35ए से जम्मू कश्मीर की सरकार और वहां की विधानसभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार प्राप्त है. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थी और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू कश्मीर में किसी तरह की सुविधाएं दे या ना दे. देश के विभाजन के समय बड़ी तादाद में पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आए थे . इससे लाखों की तादात में शरणार्थी जम्मू कश्मीर...

आतंकवाद एक अतिवादी सोच

 हम आतंक के युग में रह रहे हैं. कुछ ऐसे लोग जिन्हें यह विश्वास है कि एक स्वप्न के लिए अपना बलिदान देने से उन्हें स्वर्ग में महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा. ऐसा अजीब विचार और ऐसा स्वर्ग कहां से आया? क्या यह जन्नत यहां अभी नहीं है? क्या यह पृथ्वी सारी मानवता के लिए उपहार नहीं? क्या सभी व्यक्तियों का इसी जन्म में सफल होना है पूर्वनियोजित नहीं है. प्रस्तुत पंक्तियां महान वैज्ञानिक और भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित पुस्तक You are Born to Blossom  की प्रस्तावना के आखिरी पैराग्राफ से उद्धृत है. आज के राजनीतिक माहौल में जबकि सभी नेतागण अपना नफा-नुकसान देखकर बोलते हैं, या यूं कहें कि माहौल को बिगाड़ते हैं. जब वह कहते हैं कि आतंकवाद किसी एक धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है, तो उन्हें एक बार इस अतिवादी विचारधारा के खतरों के बारे में अवश्य सोचना चाहिए. जो इस विचारधारा पर आधारित है कि उनके विचारों से इत्तेफाक न रखने वाले हर व्यक्ति को खत्म करने का अधिकार उन्हें ईश्वर से प्राप्त है, और ऐसा करके उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी. ऐसी सनकी और विध्वंसक मानसिकता पर कठोर कुठाराघात...

बोया पेड़ बबूल का

मानसून इस समय अपने पूरे चरम पर है देश के लगभग हर इलाके में झमाझम बारिश हो रही है. मई और जून में  जो पारा47डिग्री तक पहुंच गया था वह नीचे आ गया है. मौसम खुशनुमा और हरियाली से भरा हुआ है अपने आसपास की हरियाली आंखों को सुकून दे रही है. लेकिन माफ करिएगा यह किसी शहरी इलाके की तस्वीर नहीं है यह तो भारत के किसी छोटे से गांव की कहानी है. जहां की तस्वीरें हमारी मीडिया नहीं दिखाती है . अब बातें करते हैं हमारे महानगरों और नगरों की जहां मानसून की वजह से बाढ़ आई हुई है और चारों ओर तबाही का आलम है. क्या घर और क्या अस्पताल , स्कूल और कारखाने सभी दरिया में डूबे हुए हैं. आम आदमी तो आम आदमी नेताओं और मंत्रियों के बंगले थी इससे बच नहीं पाते हैं. बहुमंजिला इमारतें ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो रही है हजारों करोड़ रुपए की लागत से बने एक्सप्रेस वे और हाईवे धस रहे हैं. जब हम नदियों के बहाव क्षेत्र में बस्तियां बरसाते हैं. उनको पाटकर उनकी संरचना के साथ खिलवाड़ करते हैं तब हम यह नहीं सोचते हैं कि इसका दुष्परिणाम क्या होगा. मानसून के समय में जब नदियों के बहाव क्षेत्र में पानी भर जाता है तब हालात काबू ...