व्यक्ति के विकास में माहौल की भूमिका

हमारा शरीर वैसा ही बनता है जिस प्रकार का भोजन हम ग्रहण करते हैं, ठीक उसी प्रकार हमारा मस्तिष्क भी वैसा ही सोचता है जिस प्रकार के माहौल में हमारी परवरिश होती है. हमारे आसपास का माहौल हमारे मस्तिष्क के लिए भोजन का कार्य करता है. जिससे हमारी आदतें व्यवहार और व्यक्तित्व निर्धारित होता है.

प्रकृति द्वारा हर मनुष्य को कोई ना कोई खास क्षमता विरासत में मिली होती है, परंतु हम उस  क्षमता को कितना और किस प्रकार विकसित कर पाते हैं यह हमारे माहौल पर निर्भर करता है. मस्तिष्क पर माहौल का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है जिस तरह भोजन का शरीर पर.

मान लीजिए हम भारत की जगह किसी दूसरे देश में पैदा होते तब हम कैसे इंसान होते? क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हम भारत की जगह अमेरिका में पैदा हुए होते क्या तब भी हमारे कपड़े पहनने का तरीका यही होता? क्या तब भी हम ऐसा ही भोजन करते ? और क्या तब हम किसी दूसरे धर्म के अनुयाई नहीं होते? कहने का मतलब इतना है कि हमारा विकास किस तरह होगा यह पूरी तरह से हमारे माहौल पर निर्भर करता है.

जिस प्रकार सांचा गीली मिट्टी को आकार देता है उसी प्रकार आसपास का माहौल एक मनुष्य को आकार देता है. हमारे सोचने का तरीका काम करने की पद्धति और लक्ष्य की ऊंचाई सभी कुछ हमारे माहौल पर ही निर्भर करते हैं. अगर किसी के घर का माहौल नकारात्मक है तो इस माहौल में रहने वाले सभी लोग नकारात्मक प्रवृत्ति के होंगे.

इसे हम मौसम के माध्यम से भी समझ सकते हैं और इसे परयावरणीय माहौल का नाम दे सकते हैं. गर्मी और सर्दी के मौसम एक दूसरे से पूरी तरह विपरीत होते हैं और इसमें हमारे खान-पान ,रहन-सहन और वेशभूषा पूरी तरह से बदल जाते हैं.

माहौल धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और प्राकृतिक कई प्रकार के हो सकते हैं और इन सभी का हमारे विकास मे गहरा प्रभाव पड़ता है. आज हम किस तरह के इंसान हैं हमारा व्यक्तित्व और हमारी महत्वकांक्षा इसी बात पर निर्भर करती है. निरंतरता सृष्टि का नियम है जिसके परिणाम स्वरुप बदलाव होते रहते हैं. आने वाले समय में हम किस तरह के व्यक्ति बनते हैं यह पूरी तरह से हमारे पारिवारिक और आसपास के माहौल पर निर्भर करता है.

 हम किस तरह सोचते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसे लोगों के बीच अपना समय बिता रहे हैं. इसी माहौल के आधार पर हमारी सफलता यह सफलता निश्चित होती है. अक्सर देखने में आता है कि जो व्यक्ति जितना ज्यादा सफल होता है वह उतना ही अधिक विनम्र और परोपकारी होता है. इसका मतलब यह है कि एक सकारात्मक माहौल में बड़ा होने वाला व्यक्ति हर क्षेत्र में अग्रणी होता है .

छोटी सोच वाले ईर्ष्यालु और झगड़ालू लोगों से दूर रहकर हम अपने आसपास का माहौल सुधार सकते हैं. इस प्रकार माहौल के प्रति सचेत रहकर हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं.

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