अटल बिहारी वाजपेई- भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने  राज्यसभा में एक भाषण के दौरान अटल जी को भारतीय राजनीति का"भीष्म पितामह" कहा था .अपने करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों में "बाप जी" के नाम से प्रसिद्ध अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था. अटल जी ने अपना जीवन देश की भलाई के लिए एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रुप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था. अटल जी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आ गए थे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया और 23 दिन तक कारावास में रहे.

अटल जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की. राष्ट्रधर्म और पाञ्चजन्य पत्रिकाओं के संपादक के रूप में कार्य किया इसके अतिरिक्त स्वदेश और वीर अर्जुन समाचार पत्रों के संपादक के रूप में अपना योगदान दिया. पत्रकारिता से अटल जी ने राजनीति में प्रवेश किया 6 अप्रैल 1980 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रुप में एक नई यात्रा की शुरुआत की. अपने राष्ट्र और भाषा पर  गौरव करने वाले अटल बिहारी वाजपेई 1997 में जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री बने उस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सत्र में उन्होंने हिंदी में अपना भाषण दिया. महान वक्ता  अटल बिहारी वाजपेई से जवाहरलाल नेहरू इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इनके प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर दी. अटल बिहारी वाजपेई पहले ऐसे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री  बने जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.

वाक्पटु और हाजिर जवाब अटल जी से जुड़े ऐसे कई प्रसंग है जो हमें उनके विराट व्यक्तित्व के दर्शन करवाते हैं. एक बार जब संसद में इंदिरा गांधी ने चर्चा के दौरान अटल जी के बारे कहां की वह हिटलर की तरह भाषण देते हैं और हाथ लहराकर अपनी बात रखते हैं. इसका जवाब देते हुए  बाद में उन्होंने कहा था इंदिरा जी हाथ हिलाकर तो सभी भाषण देते हैं, क्या कभी आपने किसी को पैर हिलाकर भाषण देते हुए भी सुना है. पत्रकार सत्यपाल चौधरी ने अपने एक लेख में लिखा है कि सितंबर 1992 में जब जम्मू के पास अखनूर में चिनाब नदी में बाढ़ आई थी तब वहां का पुल नदी में बह गया था.  तब अटल जी वहां का दौरा करने आए थे. उनके साथ पार्टी के कुछ नेता भी आए थे. नदी पार जाने के लिए सेना मोटर बोट से लोगों को ले जा रही थी. जब अटल जी को यह पता चला कि नाव में एक साथ चार लोग ही बैठ सकते हैं तो इतना सुनते ही अटल जी नाव  से उतर गए और कहा कि पहले इनको पार लगाओ फिर मुझे ले जाना.

 भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने हेतु स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का प्रारंभ अटल जी के कार्यकाल में ही किया गया. दुनिया के ताकतवर देशों को चुनौती देते हुए परमाणु परीक्षण करना , दूसरी ओर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का प्रारंभ उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है

देश के दसवें में प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक ,भाषाविद कवि, पत्रकार वह लेखक के रूप में प्रतिष्ठित है.

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