आतंकवाद एक अतिवादी सोच
हम आतंक के युग में रह रहे हैं. कुछ ऐसे लोग जिन्हें यह विश्वास है कि एक स्वप्न के लिए अपना बलिदान देने से उन्हें स्वर्ग में महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा. ऐसा अजीब विचार और ऐसा स्वर्ग कहां से आया? क्या यह जन्नत यहां अभी नहीं है? क्या यह पृथ्वी सारी मानवता के लिए उपहार नहीं? क्या सभी व्यक्तियों का इसी जन्म में सफल होना है पूर्वनियोजित नहीं है.
प्रस्तुत पंक्तियां महान वैज्ञानिक और भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित पुस्तक You are Born to Blossom की प्रस्तावना के आखिरी पैराग्राफ से उद्धृत है.
आज के राजनीतिक माहौल में जबकि सभी नेतागण अपना नफा-नुकसान देखकर बोलते हैं, या यूं कहें कि माहौल को बिगाड़ते हैं. जब वह कहते हैं कि आतंकवाद किसी एक धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है, तो उन्हें एक बार इस अतिवादी विचारधारा के खतरों के बारे में अवश्य सोचना चाहिए. जो इस विचारधारा पर आधारित है कि उनके विचारों से इत्तेफाक न रखने वाले हर व्यक्ति को खत्म करने का अधिकार उन्हें ईश्वर से प्राप्त है, और ऐसा करके उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी. ऐसी सनकी और विध्वंसक मानसिकता पर कठोर कुठाराघात करने की आवश्यकता है. जो यह नहीं मानते हैं कि प्रकृति ने सबको समान जीवन के अधिकार के साथ इस दुनिया में भेजा है . और कोई भी व्यक्ति विशेष या विचारधारा उनको उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती है. जब पृथ्वी सभी जीवो को जीने के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है चाहे वह लघु हो या दीर्घ पानी में रहते हो या आकाश में उड़ते हो तो फिर सृष्टि की सर्वोत्तम कृति कहे जाने वाले मनुष्य में इसका अभाव कैसे हो गया? सृष्टि की मूल भावना भी इसी संतुलन के आधार पर काम करती है.
आतंकवाद की विचारधारा सृष्टि के संतुलन की भावना का विरोध करती है. अगर ऐसी विचारधारा किसी धर्म भाषा जाति या क्षेत्र से आती है तो इसमें संशोधन की आवश्यकता है और विरोध की भी. इसे हम किसी भी प्रकार से सही नहीं ठहरा सकते हैं. इसके लिए वे लोग भी दोसी हैं जो अपने स्वार्थ के लिए इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन करते हैं. यह एक तरह से आतंक को बढ़ाने जैसा ही है.
आतंकवादी जब अपने फितूर के कारण मासूमो और बेगुनाहों की जान ले रहे होते हैं तब वह कौन सी जन्नत बना रहे होते हैं? उनके इस काम से उनका खुदा कैसे खुश होकर उन्हें जन्नत में भेजेगा? इस बात का उनके पास क्या जवाब है.
प्रस्तुत पंक्तियां महान वैज्ञानिक और भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित पुस्तक You are Born to Blossom की प्रस्तावना के आखिरी पैराग्राफ से उद्धृत है.
आज के राजनीतिक माहौल में जबकि सभी नेतागण अपना नफा-नुकसान देखकर बोलते हैं, या यूं कहें कि माहौल को बिगाड़ते हैं. जब वह कहते हैं कि आतंकवाद किसी एक धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है, तो उन्हें एक बार इस अतिवादी विचारधारा के खतरों के बारे में अवश्य सोचना चाहिए. जो इस विचारधारा पर आधारित है कि उनके विचारों से इत्तेफाक न रखने वाले हर व्यक्ति को खत्म करने का अधिकार उन्हें ईश्वर से प्राप्त है, और ऐसा करके उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी. ऐसी सनकी और विध्वंसक मानसिकता पर कठोर कुठाराघात करने की आवश्यकता है. जो यह नहीं मानते हैं कि प्रकृति ने सबको समान जीवन के अधिकार के साथ इस दुनिया में भेजा है . और कोई भी व्यक्ति विशेष या विचारधारा उनको उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती है. जब पृथ्वी सभी जीवो को जीने के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है चाहे वह लघु हो या दीर्घ पानी में रहते हो या आकाश में उड़ते हो तो फिर सृष्टि की सर्वोत्तम कृति कहे जाने वाले मनुष्य में इसका अभाव कैसे हो गया? सृष्टि की मूल भावना भी इसी संतुलन के आधार पर काम करती है.
आतंकवाद की विचारधारा सृष्टि के संतुलन की भावना का विरोध करती है. अगर ऐसी विचारधारा किसी धर्म भाषा जाति या क्षेत्र से आती है तो इसमें संशोधन की आवश्यकता है और विरोध की भी. इसे हम किसी भी प्रकार से सही नहीं ठहरा सकते हैं. इसके लिए वे लोग भी दोसी हैं जो अपने स्वार्थ के लिए इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन करते हैं. यह एक तरह से आतंक को बढ़ाने जैसा ही है.
आतंकवादी जब अपने फितूर के कारण मासूमो और बेगुनाहों की जान ले रहे होते हैं तब वह कौन सी जन्नत बना रहे होते हैं? उनके इस काम से उनका खुदा कैसे खुश होकर उन्हें जन्नत में भेजेगा? इस बात का उनके पास क्या जवाब है.
A really very sincere ropic chosen by you mrs.uma , terrirism seriously needs to be faced of with diplomacy . Really very intellectual work done by you.
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