आदतों का जीवन में महत्व
प्रकृति किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करती हैं. फिर हम में से कई लोग बहुत सफल होते हैं कुछ लोग औसत दर्जे का प्रदर्शन करते हैं और कुछ लोग पूरी तरह से असफल हो जाते हैं, ऐसा आखिर क्यों होता है? इसके पीछे का सबसे मुख्य कारण है हमारी आदतें. अगर हम किसी सफल व्यक्ति का विश्लेषण करें तो हम यह पाते हैं कि ऐसे लोग अपने जीवन में अधिकतर सही फैसले करते हैं इसके विपरीत एक असफल व्यक्ति हमेशा गलत फैसले करता है. वह अपनी पुरानी गलतियों से कुछ नहीं सीखता है और उन्हें बार-बार दोहराता जाता है शायद उसे पता भी नहीं होता कि वह अपनी गलतियों को दोहरा रहा है क्योंकि यह उसकी आदत और व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुकी होती हैं.
एक प्रसिद्ध कहावत है -प्रेक्टिस मेक मैन परफेक्ट इसका मतलब है कि अभ्यास से व्यक्ति पूर्णता को प्राप्त करता है. हम अपने किसी भी गुण को अभ्यास के द्वारा निखार सकते हैं. उसी प्रकार हम बार बार गलतियों को दोहरा कर उसमें भी महारत हासिल कर सकते हैं, क्योंकि बार-बार दोहराने से यह हमारी आदत का हिस्सा बन चुकी होती हैं.
कोई भी कार्य जिसे हम लंबे समय तक करते हैं वह हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है और आदत भी. हमारे सोचने समझने का तरीका भी हमारी आदत का हिस्सा बन जाता है और आदतें ही हमारा चरित्र बनाती हैं. इससे पहले कि हम आदतों को अपनाने का सोचे आदतें हमें अपना चुकी होती हैं. उदाहरण के लिए नशे के आदी लोगों के साथ ऐसा ही होता है, पहले वह किसी नशे का सेवन ऐसे ही केवल मस्ती और रोमांच के लिए करते हैं, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं चलता है कि वह कब इसके आदी हो गए और उन्हें जब तक यह महसूस होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. नशा उनकी आदत का अहम हिस्सा बन चुका होता है, वह इस दलदल में पूरी तरह फंस चुके होते हैं. इसीलिए हमें बचपन से ही अच्छी आदतों को अपनाने पर जोर दिया जाता है क्योंकि यह आदतें हमारे साथ जीवन भर रहती हैं और हमारे जीवन की दिशा और दशा को तय करती है.
हमारे विचार हमें काम की तरफ ले जाते हैं काम से आदतें बनती हैं, आदतों से हमारा चरित्र बनता है और चरित्र से हमारा भविष्य. चरित्र हमारी आदतों का मिला जुला रूप होता है. अच्छी आदतों वाला व्यक्ति अच्छे चरित्र का माना जाता है और बुरी आदतों वाला व्यक्ति बुरे चरित्र का माना जाता है. किसी काम को जब बार-बार किया जाए तो वह आदत बन जाती है. हमारा नजरिया या हमारे सोचने का तरीका ही हमारी आदतें बनाता है और फिर हम उसी के अनुसार व्यवहार करते हैं.
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अच्छी आदतों को अपनाना मुश्किल होता है लेकिन उनके साथ जीना आसान है लेकिन इसके विपरीत बुरी आदतों को अपनाना आसान है लेकिन उनके साथ हमें जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हमारे द्वारा प्रतिदिन ऐसे बहुत से कार्य किए जाते हैं जिनका असर हमारी आदतों पर पड़ता है. जैसे की हम किस प्रकार की किताबें पढ़ते हैं किस प्रकार के कार्यक्रम और फिल्में देखते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे मित्र कैसे हैं. अगर हम अच्छा साहित्य पढ़ते है , ज्ञानवर्धक और उत्साहवर्धक कार्यक्रम और फिल्मों को प्रमुखता देते हैं, मन को शांति देने वाला संगीत सुनना पसंद करते हैं, अगर हमारे मित्र सभ्य और संस्कारी हैं तो निश्चय ही इसका सकारात्मक असर हमारी आदतों पर पड़ेगा.
चरित्र निर्माण के लिए हमें अपने अंदर अच्छी आदतों का विकास करना अति आवश्यक है. हम अगर एक अच्छा व्यक्ति बनना चाहते हैं तो हमें अपने अंदर अच्छी आदतों का विकास करना ही पड़ेगा क्योंकि जो काम हम कभी मौज मस्ती के लिए बस यूं ही शुरू करते हैं वह कब हमारे जीवन का स्थाई दोष बन जाता है हमें पता भी नहीं चलता है.
हम आत्मसंयम के द्वारा अपनी बुरी आदतों पर विराम लगा सकते हैं, सभी आदतें बहुत छोटे रूप से शुरू होती हैं लेकिन अंत में इनसे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम किसी भी बुरी आदत को ना अपनाएं क्योंकि यह बुरी आदतों को छोड़ने से कहीं ज्यादा आसान है.
अच्छी आदतों के लिए हम आत्मविश्लेषण का तरीका अपना सकते हैं, इससे हम अपने दिमाग को उस तरह तैयार कर सकते हैं जैसा कि हम बनना चाहते हैं. लगातार प्रयास से हम वैसा बन भी जाते हैं यही तो आदत है.
एक प्रसिद्ध कहावत है -प्रेक्टिस मेक मैन परफेक्ट इसका मतलब है कि अभ्यास से व्यक्ति पूर्णता को प्राप्त करता है. हम अपने किसी भी गुण को अभ्यास के द्वारा निखार सकते हैं. उसी प्रकार हम बार बार गलतियों को दोहरा कर उसमें भी महारत हासिल कर सकते हैं, क्योंकि बार-बार दोहराने से यह हमारी आदत का हिस्सा बन चुकी होती हैं.
कोई भी कार्य जिसे हम लंबे समय तक करते हैं वह हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है और आदत भी. हमारे सोचने समझने का तरीका भी हमारी आदत का हिस्सा बन जाता है और आदतें ही हमारा चरित्र बनाती हैं. इससे पहले कि हम आदतों को अपनाने का सोचे आदतें हमें अपना चुकी होती हैं. उदाहरण के लिए नशे के आदी लोगों के साथ ऐसा ही होता है, पहले वह किसी नशे का सेवन ऐसे ही केवल मस्ती और रोमांच के लिए करते हैं, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं चलता है कि वह कब इसके आदी हो गए और उन्हें जब तक यह महसूस होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. नशा उनकी आदत का अहम हिस्सा बन चुका होता है, वह इस दलदल में पूरी तरह फंस चुके होते हैं. इसीलिए हमें बचपन से ही अच्छी आदतों को अपनाने पर जोर दिया जाता है क्योंकि यह आदतें हमारे साथ जीवन भर रहती हैं और हमारे जीवन की दिशा और दशा को तय करती है.
हमारे विचार हमें काम की तरफ ले जाते हैं काम से आदतें बनती हैं, आदतों से हमारा चरित्र बनता है और चरित्र से हमारा भविष्य. चरित्र हमारी आदतों का मिला जुला रूप होता है. अच्छी आदतों वाला व्यक्ति अच्छे चरित्र का माना जाता है और बुरी आदतों वाला व्यक्ति बुरे चरित्र का माना जाता है. किसी काम को जब बार-बार किया जाए तो वह आदत बन जाती है. हमारा नजरिया या हमारे सोचने का तरीका ही हमारी आदतें बनाता है और फिर हम उसी के अनुसार व्यवहार करते हैं.
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अच्छी आदतों को अपनाना मुश्किल होता है लेकिन उनके साथ जीना आसान है लेकिन इसके विपरीत बुरी आदतों को अपनाना आसान है लेकिन उनके साथ हमें जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हमारे द्वारा प्रतिदिन ऐसे बहुत से कार्य किए जाते हैं जिनका असर हमारी आदतों पर पड़ता है. जैसे की हम किस प्रकार की किताबें पढ़ते हैं किस प्रकार के कार्यक्रम और फिल्में देखते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे मित्र कैसे हैं. अगर हम अच्छा साहित्य पढ़ते है , ज्ञानवर्धक और उत्साहवर्धक कार्यक्रम और फिल्मों को प्रमुखता देते हैं, मन को शांति देने वाला संगीत सुनना पसंद करते हैं, अगर हमारे मित्र सभ्य और संस्कारी हैं तो निश्चय ही इसका सकारात्मक असर हमारी आदतों पर पड़ेगा.
चरित्र निर्माण के लिए हमें अपने अंदर अच्छी आदतों का विकास करना अति आवश्यक है. हम अगर एक अच्छा व्यक्ति बनना चाहते हैं तो हमें अपने अंदर अच्छी आदतों का विकास करना ही पड़ेगा क्योंकि जो काम हम कभी मौज मस्ती के लिए बस यूं ही शुरू करते हैं वह कब हमारे जीवन का स्थाई दोष बन जाता है हमें पता भी नहीं चलता है.
हम आत्मसंयम के द्वारा अपनी बुरी आदतों पर विराम लगा सकते हैं, सभी आदतें बहुत छोटे रूप से शुरू होती हैं लेकिन अंत में इनसे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम किसी भी बुरी आदत को ना अपनाएं क्योंकि यह बुरी आदतों को छोड़ने से कहीं ज्यादा आसान है.
अच्छी आदतों के लिए हम आत्मविश्लेषण का तरीका अपना सकते हैं, इससे हम अपने दिमाग को उस तरह तैयार कर सकते हैं जैसा कि हम बनना चाहते हैं. लगातार प्रयास से हम वैसा बन भी जाते हैं यही तो आदत है.
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