नेताजी का बायोडाटा

जनता को लगाके चुना पान जैसे खा गए खा गए जो,
नेताजी की महिमा अपार बड़ी भारी है।

खींचतान कुर्सी की करते ये महान लोग,
बिछी हुई सत्ता की बिसात बड़ी भारी है।

पहले बांटा जातियों में फिर उप जातियों में,
सोच विषधर की फुफकार बड़ी भारी है‌।

सेवा के नाम पर जो मेवा खाएं रात दिन,
इनकी पाचन शक्ति की मिसाल बड़ी भारी है।

बात करें वंचितों की रोटी सेकें लाश पर जो,
बड़े-बड़े बंगलों में रहते  खादीधारी हैं।

शाम दाम दंड भेद आयुध रखे तरकश में,
छुरा घोंपें पीठ में पीठ में जो छल के पुजारी हैं।

बाप हैं विभीषण के शकुनि के मामा है जो,
इनकी महागाथा तो वेदों से भी भारी है।

बीज बोए झूठ के वादों की जो खाद डालें,
जुमलों की वर्षा करें ऐसे धनुर्धारी हैं।

पक्ष में विपक्ष में खड़े हुए जो बोल रहे,
मातृभूमि नहीं इन्हें अपनी कुर्सी प्यारी है।

                                                    (प्रिय पाठकों चुनाव का समय नजदीक आ रहा आ रहा है। तरह-तरह के नेतागण चुनाव के मैदान में अपना झंडा लेकर खड़े हैं। सभी को जनताजनार्दन के वोटों की चाह है। उपरोक्त बायोडाटा के माध्यम से उनके गुणों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है।  उपरोक्त कविता को पढ़ने के बाद अपने विचार जरूर प्रकट करें। आपके विचार मार्गदर्शक का कार्य करेंगे)।

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