मैं नागफनी हूँ
तपते हुए रेगिस्तान के बीच में, ठूठ सी खड़ी , मैं नागफनी हूं | नागफनी होना कैसा लगता है कभी सोचा है ? जिसके पास कोई नहीं आना चाहता है, अभाव में पली अमृत से वंचित नागफनी, कांटों से ढकी धूप में झुलसती नागफनी, जीवन के लिए लड़ती प्रतिपल संघर्ष करती, मैं जिजीविषा का उत्कृष्ट प्रतीक हूं | मैं नागफनी हूं | संघर्ष करके ही मैंने जीवन पाया है| रेगिस्तान की धूप में पानी की एक भी बूंद के बिना, सीना तानें खड़ी हूं | प्रतिपल लड़ती और जीतती हूं मैं| मैं नागफनी हूं | बंजर में जीवन का प्रतीक संघर्ष की पराकाष्ठा हूं | मैं खूबसूरत नहीं मैं कोमल नहीं मैं कांटों से भरी हूं | मेरा जीवन ही प्रतिकार है | कठिनाइयों और बाधाओं का, मैंने हारना सीखा नहीं | उस प्रचंड सूर्य की भीषण ज्वाला से, उन बिना जल के मेघों से | ककरीली पथरीली भूमि में भी, मैं रस खोज लेती हूं | मैं नागफनी हूं | मैं विजयगान हूं कर्मठता का| मैं उत्तर हूं उपेक्षा और अभाव का | मैं शुन्य में कुछ होने का एहसास हूं| मैं नागफनी हूं|