क्षितिज के उस पार क्या है?

 प्रतिपल चलता अंतर्द्वंद,
राह रोके खड़ी उलझन,
स्थितियां कभी आदर्श नहीं होती.
फिर भी पूछे अंतर्मन
क्षितिज के उस पार क्या है?

सांझ का धुंधलापन,
दिनभर की थकन,
संघर्ष ही सर्वस्व है.
फिर भी पूछे अंतर्मन,
क्षितिज के उस पार क्या है?

नए दिन की नई चुनौती,
प्रतिपल बदलता जीवन.
लोग इतने बुरे भी नहीं हैं.
 फिर भी पूछे अंतर्मन,
क्षितिज के उस पार क्या है?

सपनों के संसार के साथ,
प्यार और विश्वास के साथ,
निश्छल मन का अपनापन.
फिर भी पूछे अंतर्मन
क्षितिज के उस पार क्या है?

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