वोट बैंक है

नेताओं की भाषा में, प्रतिशत में गिने जाते हैं.
हम भारत की जनता हैं, वोटबैंक कहलाते हैं.

हिंदू और मुसलमान हो सकते हैं,
 मुद्दों की दुकान हो सकते हैं.
नेताजी के स्वार्थ के लिए,
सारे कुर्बान हो सकते हैं.

अगड़े वोट, पिछड़े वोट,
हिंदू और मुसलमान वोट.
सवर्ण और दलित वोट,
आपस में लड़ते वोट,
हम इंसान नहीं वोट है.
नेताजी की कुर्सी का सपोर्ट है.

पाँच साल में एक बार,
 अपनी बारी आती है.
जो भी सरकार चुनकर भेजो,
वह रोज चूना लगाती है.

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