अंतर्मन

जिंदगी की कशमकश,
उबड़ खाबड़ रास्ते,
सूखे तपते रेगिस्तान सा जीवन,
अमृत कलश कहां है?

कोमल मन पर लगी चोटें,
लहूलुहान मन,
अंतर्मन का सूनापन,
वीणा की झंकार कहां है?

मिलते ,बिछड़ते लोग,
स्वार्थ और आडंबर,
 सूखे पत्ते सा जीवन,
रिश्तो का संसार कहां है?

लू की तपन,
हिम की ठिठुरन,
बाढ़ मे डूबता तन-मन,
वह सुंदर ऋतुराज कहां है?

भाव और अभाव के बीच,
दुख और सुख,
आंखों से बहते आंसू,
स्नेह और प्यार कहां है?

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