चार्वाक दर्शन- भौतिकतावादी विचारधारा

 दर्शन की एक अलग ही परिभाषा देने वाले ऋषि चार्वाक जिन्होंने भौतिकतावादी विचारों का समर्थन किया, चार्वाक सिद्धांत चार तत्वो पृथ्वी, जल अग्नि एवं वायु को मान्यता प्रदान करता है. चार्वाक के अनुसार मनुष्य एवं अन्य जीवों की चेतना इन्हीं मौलिक तत्वों के परस्पर मेल से उत्पन्न होती है. चार्वाक दर्शन मूलतः नास्तिकता वादी और अनीश्वरवादी है.

ईसा पूर्व 500 से सन 300 के बीच मिश्रित अर्थव्यवस्था और समाज में भौतिकतावादी दर्शन पर बल दिया गया जो चार्वाक दर्शन में परिलक्षित होता है.

चार्वाक एक क्रांतिकारी विचारक थे जिन्होंने ब्राह्मणवादी सत्ता को चुनौती दी. वह ब्रह्म और ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते थे. चार्वाक के अनुसार ब्राह्मणों ने दक्षिणा प्राप्त करने के लिए अनुष्ठानों का निर्माण किया. चार्वाक दर्शन को लोकायत के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ है आम लोगों से प्राप्त विचार. इसमें वर्तमान दुनिया के साथ गहरे संबंध के महत्व पर बल दीया गया है और दूसरी दुनिया यानी परलोक में अविश्वास प्रकट किया गया है. चार्वाक आध्यात्मिक मोक्ष प्राप्ति के विरोधी थे उन्होंने किसी भी दिव्य अलौकिक शक्ति के अस्तित्व को अस्वीकार किया है.
    भस्मीभूतस्य देहस्य परागमनं कुत:
अर्थात भला जो शरीर मृत्यु पश्चात भस्मीभूत हो जाएगा उसके पुनर्जन्म का सवाल ही कहां उठता है.
उन्होंने केवल उन्हीं चीजों को स्वीकार किया है जिसे  इंद्रियों के द्वारा मनुष्य अनुभव कर सकता है. चार्वाक का असली योगदान उनके भौतिकतावादी दृष्टिकोण में निहित है जो दिव्य और परलौकिक शक्तियों को नकारकर मनुष्य को समस्त गतिविधियों का केंद्र मानते थे.

चार्वाक की विचारधारा से उनके शक्तिशाली प्रतिद्वंदी कुपित हो गए और उनको बदनाम करने के लिए उनके इस मत को खूब प्रचारित किया.
    यावत् जीवेत् सुखम् जीवेत्  रृणम कृत्वा घृतं पिबेत्.
 इसका तात्पर्य यह है कि जब तक जिए सुखपूर्वक जिए और ऋण लेकर भी  यदि घी पीने को मिले तो इसमें कोई बुराई नहीं है.

Comments

  1. चार्वाक दर्शन आस्तिक है उसे नास्तिक कहकर पढाया गया है यह लोकतंत्र चरित्र तथा स्वास्थ्य का पक्षधर है । क्या आपने सूत्रों को खोला है

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