वीरों की गौरव गाथा

जो मातृभूमि की पूजा में अपना शीश चढ़ा आए,
यह आजादी का महापर्व है आओ उनकी गाथा गाये,

सीमा पर प्राचीर बने जो डटे हुए हैं सीना तान,
रोज लहू से चरण पखारे करते हैं हम उन्हें प्रणाम,

मार्तंड हो मातृभूमि के फैले जिससे प्रखर उजास,
मां की गरिमा कायम रखते कोई नहीं है तुमसे खास,

युद्ध में बाढ़ में सुरक्षा में प्रहार में,
मातृभूमि के हर कार्य में,
तुम ही हो   अग्रिम कतार में,

बर्फ की चादर हो, लहराता सागर हो,
बरसती हुई आग में,
 वज्र के मन से कूदते हर रण में,

स्वतंत्रता की रक्षा करते स्वाभिमान के पोषक हो,
आतंक  से लोहा लेते मातृभूमि के रक्षक हो,

सिंह का साहस हो, शत्रु के लिए पावक हो,
रण में महाकाल हो, प्रचंड तुम प्रहार हो,

गर्व हो हमारा, आन, बान, शान हो,
हे वीर तुम महान हो सभी का स्वाभिमान हो,.


Comments

  1. Very nice poetry .... uma ji it power of your ink and pen.

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  2. Really very motivating and heart delighting writing power you have mrs.uma singh , please keep on writing and inspire todays youth . Jai hind .

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