कम्युनल होने में बुराई क्या है

आजकल एक ऐसा आभासी माहौल बनाया जा रहा है कि जैसे पूरे देश में अराजकता की आग फैली हुई है जहां बहुसंख्यको द्वारा समावेशी समाजऔर संस्कृति के  ताने-बाने को छिन्न-भिन्न किया जा रहा है आप कोई भी न्यूज़ चैनल देखें वहां आपको तथाकथित बुद्धिजीवियों और सेक्यूलर विद्वानों की एक कतार मिलेगी जो आपको  समझाने की कोशिश करती हुई दिखाई देगी की आपके चारों ओर अराजकता फैली हुई है बहुसंख्यकों द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों को चोट पहुंचाई जा रही सेक्यूलर विद्वान कह रहे हैं कि देश कम्युनल हो रहा है लेकिन कम्युनल होने में बुराई क्या है सृष्टि का हर जीव कम्युनल है और इसका मुख्य कारण सुरक्षा की भावना और समान जीवन पद्धति का होना है.

क्या आप हाथी और शेर को एक साथ रख सकते हैं नहीं ना क्योंकि यह एक दूसरे के प्राकृतिक दुश्मनहैं. जहां पर जिस का पलड़ा भारी होगा वह दूसरे को चोट पहुंचाएगा.  विपरीत स्वभाव के जीव एक साथ नहीं रह सकते इससे उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा. संख्याबल में सुरक्षा की भावना छुपी हुई है जिसे हम कम्युनिटी का नाम देते हैं  जिस प्रकार एक स्पीशीज के जीव एक साथ रहते हैं उसी प्रकार समान विचारधारा आचरण और सामान भाषा शैली के लोग एक साथ रहते हैं यही कम्युनिटी है. वास्तव में सारा संसार ही कम्युनल है सेक्यूलर तो एक दिखावा है आडंबर है जिसका वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं है. सभ्य समाज का हर व्यक्ति अपनी ही कम्युनिटी में ज्यादा सहज महसूस करता  है. इसमें बुराई क्या है?

Comments

  1. I think ...it is the finest quality of real though....thanks&regards who wtrites.

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    1. Apki angrezi ko salam regards dearest bhanja

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    2. One who's thought really appreciate me.

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  2. Aapki soch ka pura samarthan karte hai . keep it up . Fabulous work . Jai shri ram . Jai pashuram .

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  3. Fabulous , tremendous thoughts that I appreciate from my deepest soul .

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