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Showing posts from February, 2019

नेताजी का बायोडाटा

जनता को लगाके चुना पान जैसे खा गए खा गए जो, नेताजी की महिमा अपार बड़ी भारी है। खींचतान कुर्सी की करते ये महान लोग, बिछी हुई सत्ता की बिसात बड़ी भारी है। पहले बांटा जातियों में फिर उप जातियों में, सोच विषधर की फुफकार बड़ी भारी है‌। सेवा के नाम पर जो मेवा खाएं रात दिन, इनकी पाचन शक्ति की मिसाल बड़ी भारी है। बात करें वंचितों की रोटी सेकें लाश पर जो, बड़े-बड़े बंगलों में रहते  खादीधारी हैं। शाम दाम दंड भेद आयुध रखे तरकश में, छुरा घोंपें पीठ में पीठ में जो छल के पुजारी हैं। बाप हैं विभीषण के शकुनि के मामा है जो, इनकी महागाथा तो वेदों से भी भारी है। बीज बोए झूठ के वादों की जो खाद डालें, जुमलों की वर्षा करें ऐसे धनुर्धारी हैं। पक्ष में विपक्ष में खड़े हुए जो बोल रहे, मातृभूमि नहीं इन्हें अपनी कुर्सी प्यारी है।                                                     (प्रिय पाठकों चुनाव का समय नजदीक आ रहा आ रहा है। तरह-तरह के नेतागण चुनाव ...

एक औरत का आत्मनिर्भर होना क्यों आवश्यक है

आत्मनिर्भर यह केवल एक शब्द नहीं है, अपितु प्रतीक है स्वतंत्र होने की, स्वाभिमान की, कुंजी है सुख की। अगर आप आत्मनिर्भर नहीं हैं उस अवस्था में आप अपना कोई भी फैसला स्वयं नही कर सकते, जिसके फलस्वरूप धीरे-धीरे आत्मविश्वास में  कमी आती जाती है। संपूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा अत्याचार औरतों पर ही हुए हैं, चाहे वह किसी किसी भी, जाति या फिर धर्म से क्यों ना आती हो। जब एक तीन या चार साल की बच्ची को सबसे पहले उसकी दादी द्वारा यह बताया जाता है कि तुम लड़की हो तुम्हें यह काम नहीं करना चाहिए उसी दिल से उसके पैरों में धीरे धीरे बेड़ियां पहनानी शुरु कर दी जाती हैं, और उसे यह बताया जाता है कि वह कोई भी कार्य बिना दूसरों की मदद से नहीं कर कर सकती है। यह भेदभाव सारी उम्र होता रहता है। ऐसा बहुत ही कम घरों में होता है जहां एक लड़की को लड़कों के ही बराबर समान अवसर उपलब्ध हो। एक पिता का परम कर्तव्य अपनी पुत्री के लिए एक सुयोग्य घर और वर का चयन करके उसका विवाह करना ही होता है। जो पिता अपनी पुत्री को आत्मनिर्भर करने के बजाय किसी और के हाथों में अपनी संतान की बागडोर  सौंप देते हैं , वहीं सबसे बड़े...