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Showing posts from July, 2018

अवैध घुसपैठ और एनआरसी

आजकल एनआरसी को मुद्दा सुर्खियों में है. कुछ लोग अल्पसंख्यकों के विरुद्ध इसे सरकार की साजिश बता रहे हैं आज इसी के बारे में बात करते हैं.  एनआरसी मतलब नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन शिप. जुलाई 2009 में एक गैर सरकारी संगठन असम लोक निर्माण a p w ने राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और मतदान सूची से उनके नामों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी इसके बाद कोर्ट ने इस काम को जल्द पूरा करने का आदेश दिया 31 दिसंबर 2017 को एनआरसी के पहले ड्राफ्ट का प्रकाशन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आर्डर दिया था. एनआरसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत अप्रत्यक्ष रुप से देश में गैर कानूनी तौर पर रह रहे विदेशी नागरिकों को खोजने का प्रयास किया जाता है असम राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाने के लिए असम में एनआरसी का पहला मसौदा जारी किया गया है. जिसमें मार्च 24, 1971 की मध्य रात्रि के बाद से अवैध रूप से राज्य में घुस आए बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की कोशिश की जाएगी यह तारीख मूल रूप से 1985 के उस समझौते से मुकर्रर की गई थी जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव ...

तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा!

एक महान भारतीय नेता कहते हैं कि 2019 में BJP जीती तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा वह भारत जहां पर लगभग 80% आबादी हिंदुओं की होने के बाद भी अल्पसंख्यक समुदाय को कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हैं उनमें से एक है बहुपत्नी विवाह. एक मुसलमान एक साथ चार शादियां कर सकता है और आश्चर्य की बात तो यह है कि यह गैरकानूनी नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद और लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद भी कांग्रेस की कृपा से राज्यसभा में भी लटका पड़ा है और यह सब हिंदू बहुल राष्ट्र भारत में हो रहा है. मुस्लिम समाज में न जाने ऐसी कितनी कुरीतियां व्याप्त है जो हमें मध्ययुगीन कबीलाई संस्कृति की याद दिलाते हैं. लेकिन जब भी कोई व्यक्ति विशेष और दल विशेष इनका विरोध करता है तो उसे असहिष्णु करार दे दिया जाता है.  जब कश्मीर के पंडितों को जो वहां सनातन काल से रहते आ रहे थे मुसलमान आतंकियों द्वारा भगा दिया जाता है तब कांग्रेस के बुद्धिजीवी वर्ग को कोई असहिष्णुता नहीं दिखाई देती.  आज के युग में जब सारी दुनिया अग्रगामी बनी हुई है तब कुछ लोग मध्ययुगीन बर्बर मानसिकता के पालक और...

छोटी सी बात

प्राचीन भारतीय मान्यता के अनुसार हमारी पहली जिम्मेदारी राष्ट्रीय समाज के प्रति है, दूसरी जिम्मेदारी परिवार के प्रति और तीसरी खुद के प्रति. उस राष्ट्र और समाज का पतन होने लगता है जिसमें इसका क्रम उल्टा होने लगता है राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी होती है. आज के समय में व्याप्त भ्रष्टाचार की समस्या हमारे इसी नैतिक पतन की ओर इशारा करती है. आज हम सबसे पहले अपने बारे में सोचते हैं फिर परिवार के बारे में सोचते हैं. समाज और राष्ट्र तो हमारी सोच के अंदर आते ही नहीं. समाज में व्याप्त सारी बुराइयों की जड़ में हमारी यही सोच विद्यमान है. जब हम अपनी छोटी छोटी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं और यह कहते हैं कि सामने वाला नहीं कर रहा है तो हम क्यों करें यही से राष्ट्र का पतन शुरू होता है. किसी भी समाज की बर्बादी गुंडे और मवाली यों की वजह से नहीं होती बल्कि अच्छे लोगों की निष्क्रियता की वजह से होती है. वह निकम्मे बनकर सारी बर्बादी सहते रहते हैं. वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से मुंह मोड़ कर रखते हैं फिर वह अच्छा कैसे हो सकते एडमंड बर्क ने कहा है बुराई की जड़ जमाने के...